Monday 20 February 2017

Alsi (Flax seeds) ke fayde

                                  अलसी 

भारतवर्ष में अलसी की खेती जाड़े की फसल के साथ काफी मात्रा में होती है। अलसी गुणों की खान  है। यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को आसान बनाती है। इसके सेवन से पेट ,दिल व रक्त आदि सुचारू रूप से कार्य करते हैं।  अलसी में ओमेगा३फैटी एसिड होता है,जो हमें कई  रोगो से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। 
        शाकाहारियो के लिए ओमेगा ३ फैटी एसिड का इससे अच्छा कोई  सोत्र नहीं है। शरीर को निरोग रखने के लिए हमें रोजाना  एक  चम्मच अलसी का सेवन करना चाहिए।  
न सिर्फ अलसी बल्कि अलसी का तेल भी बहुत लाभदायक होता है। अलसी का तेल दर्द में ,जलन में राहत प्रदान करता है। 
          अलसी के तेल में विटामिन ई होता है ,जो त्वचा को निखारते हैं। 

                                          औषधीय उपयोग 

            अलसी के प्रयोग से विभिन्न रोगों का नाश होता है। अलसी को हम तेल के रूप में ,पीसकर आदि तरीके से उपयोग में लाते हैं। विभिन्न रोगों में अलसी का प्रयोग हम निम्न प्रकार से करते है। 

निद्रा :-


  • अलसी तथा अरंड का शुद्ध  तेल ,बराबर मात्रा में कांसे के पात्र में  मिलाकर सुरमे की तरह लगाने से नींद अच्छी आती है। 

आखों की लाली:-


  • अलसी के बीजों का लुआब नेत्र में टपकाने  से आँखों की लालिमा दूर होती हैं। 

कान की सूजन :-


  • अलसी को प्याज के रस में पकाकर कान में टपकाने से कान की सूजन दूर होती है। 

श्वास कास :-


  • ५ ग्राम अलसी के बीजों को कूट छानकर जल में उबाल ले ,इसमें २० ग्राम मिश्री में मिलकर यदि जाड़े हो तो मिश्री के स्थान पर शहद मिलाये। इस पेय को प्रात : सायं सेवन करने से भी स्वास रोग में आराम मिलता है। 
  • ३ ग्राम अलसी के बीजों को मोटा कूटकर २५० ग्राम उबलते हुए जल में भिगो दे और एक घंटा ढककर रख दे। तत्पश्चात छानकर थोड़ी शक्कर मिलकर सेवन करने से भी शुष्क कास दूर होता है,मूत्र भी साफ होता है।
  • अलसी के बीजो को शहद के साथ चाटने से खाँसी दूर होती है।
  • अलसी को साफकर मंद आंच से तवे पर बहहूं ले।  जब अच्छी तरह भून जाये,गंध आने लगे तो महीन संभाग मिश्री मिला ले।  जुकाम में ५-५ ग्राम उष्ण जल के साथ दोनों समय लेने से आराम मिलता है।

वात कफ जन्य विकार :-


  • तवे पर भली-भाति भुनी हुई ५० ग्राम अलसी का चूर्ण बनाकर उसमे ५० ग्राम मिश्री,१० ग्राम मिर्च चूर्ण मिलकर शहद के साथ घोटकर ३-६ ग्राम तक की गोलिया बना लें। बच्चो को ३ ग्राम और बड़ो को ६ ग्राम की गोलिया सुबह सेवन कराने से वात कफ़ जन्य विकारो में लाभ होता है। एक घंटा तक जल का सेवन ना करें।

शिरो वेदना :-


  • अलसी के बीजो को शीतल जल में पीसकर लेप करने से शिरो वेदना,मस्तक पीड़ा  में लाभ होता है।

सूजन व् दर्द :-


  • अलसी की पुलटिस सब पुल्टिसों में उत्तम है। ४ भाग कुटी अलसी,१० भाग उबलते हुए पानी में डालकर धीरे धीरे मिलाये।  यह पुल्टिस बहुत मोटी नहीं होनी चाहिए। लगाते  समय इसके निम्न भाग पर तेल चुपड़ कर लगाना चाहिए।  इसके प्रयोग से सूजन और पीड़ा दूर होती है।

कटिशूल (कमर दर्द ):- 

  •  अलसी के तेल को गरम करके इसमे शुठि चूर्ण मिलकर मालिश करने से कमर दर्द में आराम मिलता है। 

गठिया :-



  • अलसी के तेल की पुल्टिस गठिया की सूजन पर लगाने से आराम मिलता है। 

फोड़ा :-



  • अलसी को जल में पीसकर उसमे थोड़ा जौ का सत्तू मिलाकर खट्टी दही के साथ फोड़े पर लेप लगाने से फोड़ा पक जाता है। 
  • वात प्रधान फोड़े में अगर जलन और वेदना हो तो टिल और अलसी को भूनकर गाय के दूध में उबालकर ठंडा होनेपर उसी दूध में पीसकर फोड़े पर लगाने से लाभ होता है। 


संधि शूल :-



  • अलसी बीजों को ईसबगोल के साथ पीसकर लगाने से संधि शूल में लाभ होता हैं। 
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