Tuesday 31 January 2017

Jaiphal(nutmeg)ke fayde

                                जायफल (nutmeg)


 जायफल का प्रयोग मुख्यतः  गरम मसाले मे किया जाता है।इसका प्रयोग मुगलई खाने मे ज्यादा किया जाता है।
             
            इसके साथ ही जायफल एक गुणकारी औषधि हैं। आयुर्वेद  मे जायफल को वात एवं कफनाशक बताया गया हैं । जायफल के तेल को बहुत से सौंदर्य प्रसाधन और दवाइयों में प्रयोग किया जाता हैं । त्वचा ,बालो और शरीर की कई बीमारियों में जायफल बहुत ही उपयोगी है।
               जायफल को वैसे तो हम सम्पूर्ण वर्ष प्रयोग में ला सकते है ,परंतु इसका प्रयोग हम सर्दियों में अधिक करते है।

                    


             जायफल के प्रयोग से हम निम्न विभिन्न बीमारियों में लाभ प्राप्त कर सकते है।

मुँह के छाले :-


  • मुँह में अगर छाले हो गए हो तो आधा चम्मच जायफल (पानी में घिसा हुआ)एक गिलास पानी में घोलकर गरारे करने से न सिर्फ छाले ठीक  होते है बल्कि बैठा हुआ गला भी ठीक  होता है। 

पतले दस्त :-


  • अगर पतले दस्त आ रहे हो या पेट दर्द की शिकायत हो तो जायफल का  चूर्ण एक ग्राम आह कप पानी में सुबह शाम सेवन करें ,शिकायत दूर होगी । 

त्वचा रोग:-


  • जायफल तथा जावित्री के पिसे हुए चूर्ण के लेप लगाने से झाईयां दूर होती है। 
  • जायफल कोपीसकर उसमे शहद मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे के डदाग धब्बे दूर होते है। 
  • जायफल के तेल से मालिश करने  से त्वचा की शून्यता दूर होती हैं ।

विवाई :-



  • जायफल को पानी में घिसकर लगाने पैरों में लगाने से विवाइयाँ दूर होती है । 

आधाशीशी दर्द (माइग्रेन ):-


  • जायफल के छिलके को वनफरसा के तेल में पीसकर १-२ बूद नाक में डालने से आधाशीशी के दर्द में राहत  मिलती है ।   

सर दर्द :-


  • जायफल को पानी में घिसकर लगाने से सर दर्द दूर होता हैं । 

कान के रोग:-

कर्ण मूल सूजन

  • जायफल को पीस कर कान के पीछे लगाने से कर्णमूल सीजन में आराम मिलता है। 
  • जायफल को तेल में उबालकर/ छानकर १-२ बूँद कान में डालने से कान के रोगों में आराम मिलता है। 

दाँतो  में दर्द :-

  • जायफल के तेल में भीगी हुई रूई के फाहे को दाँतो में रखकर दबाने से दाँतो के दर्द में आराम मिलता हैं । 

शिशु रोग:-


  • समभाग जायफल तथा मायाफल के चूर्ण को मंद अग्नि पर भूनकर ,१२ भाग मिश्री मिलाकर ,१-२ ग्राम मात्रा में प्रतिदिन सुबह सेवन करने से रोग ओर होते है तथा बल-बृद्धि होती है । 

सावधानियॉ :-


  • जायफल का प्रयोग गर्भावस्था में निषिद्ध है। यह त्वचा में छोभ उत्पन्न करता है इसको ५ ग्राम से अधिक प्रयोग में नहीं लाना चहिये। 



tulsi ke gun

                              तुलसी 






               तुलसी एक बहुत उपयोगी वनस्पति है।हिन्दुओ के प्रत्येक शुभ कार्य में,तुलसी का प्रयोग होता है । तुलसी को विष्णुप्रिया भी कहा जाता  है।  जहा तुलसी के पौधे अधिक मात्रा में पाये जाते है,वहाँ का वातावरण शुद्ध होता है । तुलसी के पत्तो में एक प्रकार का तेल होता है जो वाष्पित होकर अशुद्ध वातावरण को शुद्ध करता है।

        तुलसी सौंदर्यवर्धक ,रक्तशोधक है। तुलसी को सुबह शाम नीबू के रस  के साथ मिलकर लगाने से काले दाग  दूर होते है और चेहरे की सुदरता बढ़ती  है।
       
       तुलसी के पत्ते खाकर दूध नहीं पीना चाहिये । 
     
       तुलसी शारीरिक व्याधियों को दूर करने के साथ मनुष्य के आतंरिक भावो और विचारो पर भी कल्याणकारी प्रभाव डालती है।

          तुलसी की सैकड़ो किस्मे है,किन्तु मुख्य पाँच है। श्यामा (काली ),रामा ,ददिह ,बाबी और तुकाशमीय तुलसी । इसमें श्यामा तुलसी अधिक फायदेमंद मानी गयी  है ।
                                        
                                        कष्ट निवारण 

          मानव शरीर का कई भी कष्ट  हो तुलसी उसके निवारण के लिए तत्पर है । आइये देखते है की भिन्न रोगों मेतुलसी का कैसे उपयोग करते है। 

सर्दी ,जुकाम में:-

  • १० से १२ पत्तिया तुलसी की पीस ले । ऐसे नीबू व् शहद के साथ मिलाकर गरम पानी के साथ पियें । सर्दी,जुकाम ,अस्थमा व् सांस की तकलीफ में फायदेमंद है । 
  • तुलसी का रास सहद में मिलाकर चाटने से जुकाम व् ख़राब गले  में आराम मिलता है। 

उल्टी  :-

  • तुलसी और अदरक का रास शहद के साथ लेने से उल्टी  आनी  बंद हो जाती है। इलायची और तुलसी के पत्ते खाने से भी उलटी आना बंद हो जाती है। 

प्रसव पीड़ा :-

  • तुलसी के रस का पान करने से प्रसव पीड़ा काम होती है । 
  • तुलसी की जड़ कमर में बांधने से स्त्रियों को,विशेषता : गर्भवती स्त्रियों को लाभ होता है । 

एसिडिटी :-

  • तुलसी के पत्तो में को छाछ या दही के साथ लेने से एसिडिटी मिटती है । 

पेट के कीड़े :-

  • तुलसी के पत्तो का रस  पीने से पेट के कीड़े मर जाते है ।

शिशु रोग :-

  • बच्चो की सूखी ख़ासी में तुलसी की कोपलें व् अदरक समान मात्रा में ले । इन्हें पीसकर ले । 
  •  बच्चो के पेट दर्द में तुलसी का थोड़ा सा रस गरम कर के पिला दे ,आराम मिलेगा । 
  •  बच्चो दाँत निकलते  तुलसी का रस पिलाना फायदेमंद होता  है । 

स्मरण शक्ति :-

  • रोज़ सुबह खाली  पेट  पानी के साथ तुलसी का सेवन करने से स्मरण शक्ति बढ़ती  है । 

चक्कर :-

  • तुलसी के पत्तो के साथ कालीमिर्च चबाने से चक्कर आने बंद होते है । 

दस्त :-

  • जायफल और तुलसी के पत्तो को फेंटकर पीने से दस्त बंद हो जाते है । 
  • तुलसी के बीज का पाँच ग्राम चूर्ण पानी के साथ ले दस्त मरोड़ बन हो जाएंगे । 

बेहोशी :-

  • तुलसी के पत्तो का रस नाक में डालने से व्यक्ति होश में आ जाता है । 

      इस प्रकार तुलसी बहुत ही उपयोगी है । हमें अपने घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए । 



Friday 27 January 2017

जल जाने पर


                                               जलना 

जलने की घटना आम जिंदगी में स्वाभाविक है। कभी न कभी लगभग हर व्यक्ति के साथ यह घटना घटित होती है। हम किसी भी कारण से जल सकते है जैसे आग ,गरम वस्तु को छूना,गरम तरल पदार्थ का शरीर के किसी भाग से पर गिर जाना आदि। महिलाओ को तो रसोई में काम करते समय छोटी-मोटी जलनी की चोट लगती रहती है।
अगर जलने का घाव ज्यादा हो ,तो हमें तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए क्योंकि जलने के बाद संक्रमण  फैलने का खतरा ज्यादा रहता है। अगर डॉक्टर कहे तो  टिटनेस का इंजेक्शन  लगवा लेना चाहिए।

जल जाने पर उपचार

           तुलसी के पत्तों का रस और नारियल के तेल को उबाल कर, ठंडा होने पर जले भाग पर लगाए।इससे  जलन शांत होती है और घाव भी शीध्र मिट जाते हैं।
         
         जली हुई जगह टूथपेस्ट लगाने से आराम मिलता है। 


          प्याज को पीसकर लगाने से जलन काम होती है।

          आलू को पीसकर लगाने से शीतलता का अनुभव होता है।

       




गाय  के घी से लेप करना चाहिए।

                                एलोवेरा का गूदा लगाने से फफोले नहीं पड़ते  है।

          कच्चे बथुए का रस लगाने से आराम मिलता है।

          ग्लिसरीन लगाने से जलन शांत होती है और फफोले भी नहीं पड़ते है।

          जल जाने पर नारियल का तेल लगाना चाहिए। जलन में काफी आराम प्रदान करता है।

         जली हुई जगह पर सरसो का तेल लगाकर नमक लगाए,फफोले नहीं पड़ेगे।

            आग से जल जाने पर हीग को पानी में घोलकर जले हुए स्थान पर लगाने से फफोले नहीं पड़ते है। यह पानी हर दो तीन घंटे में लगाना चाहिए।

           यदि गरम तेल से कोई अंग जल जय तो पुराना चूना ले और इसे दही के साथ पानी में पीसकर घाव पर लगाए,आराम मिलेगा।

जल जाने पर तिल पीस कर लगाने से जलन और दर्द में आराम मिलता है और फफोले भी नहीं पड़ते है।





Monday 23 January 2017

पेट दर्द

                                पेट दर्द 

                       पेट दर्द एक सामान्य रोग है। यह कभी भी  हो सकता है। पेट दर्द का कारण पेट में होने वाली
गैस ,कब्जियत,खाना न पचना आदि हो सकते है. इन कारणों से होने वाले दर्द में घर में आसानी से मिलने वाले मसालो,वनस्पतियो से बनाई जाने वाली औषधीय बहुत ही उपयागी होती है. 
                      विभिन्न वनस्पतियो और मसलो को  हम किस प्रकार पेट दर्द में उपयोग कर सकते है ,आइये देखते है। 

                                                          तुलसी  (BASIL)

  •  यदि बच्चा रात को रोने लगे और उसे पेट दर्द की  शिकायत हो तो तुलसी का रस थोड़ा गर्म करके ५बूंद पिला देने से आराम मिलता है|
  • १०-१२ ग्राम तुलसी का रस  पीने से पेट की मरोड़ में आराम मिलता है। 

अजवाइन (CAROM SEEDS)

  • अजवाइन का चूर्ण गरम पानी से लेने से कब्ज में आराम मिलता है। 
  • अजवाइन का चूर्ण नमक के साथ मिलाकर लेने से गैस में आराम मिलता है। 

जीरा 

  • गैस से होने वाले पेट दर्द में आधा चम्मच जीरा चबा ले ,पेट के दर्द में आराम मिलेगा। 

सेब का सिरका 

  • सेब के सिरके में असिडिटिक गुण होते है।,लेकिन गैस से होने वाले पेट दर्द में सेब का सिरका बहुत ही फायदेमंद है। पेटदर्द से रहत के लिए एक चम्मच कच्चे और अनफिल्टर्ड सेब के सिरके को एक कप पानी व् कच्चे शहद में मिलाये। इस पेय को दिन में दो से तीन बार पिए.पेट दर्द में आराम मिलेगा। 

गर्म पानी 

  • हलके गुनगुने पानी में नमक डालकर पीने से पेट दर्द में फायदा होता है। 

छाछ (BETTER MILK)

  • खाली पेट छाछ पीने से गैस से होने वाले पेट दर्द में आराम मिलता है। 

फालसा 

  • सिकी हुई अजवाइन में फालसे का २५ से ३० ग्राम रस डालकर थोड़ा सा गर्म करके पीने से पेट के शूल में आराम मिलता हैं। 

आँवला 

  • गर्मी के कारण हुई कब्जियत में आँवले का चूर्ण घी और मिश्री के साथ चाटे ,कब्ज़ियत दूर होगी। 

गाजर 

  • अरुचि ,मंदाग्नि ,अपच आदि रोगों में गाजर के रस में नमक। धनिया, जीरा,काली मिर्च ,नीबू का रस डालकर पियें अथवा गाजर का सूप बनाकर पिए। 

अदरक 

  • आधा चम्मच अदरक के रस में हीँग और कला नमक मिलकर खाने से गैस की तकलीफ दूर होती है।