जायफल (nutmeg)
जायफल का प्रयोग मुख्यतः गरम मसाले मे किया जाता है।इसका प्रयोग मुगलई खाने मे ज्यादा किया जाता है।
इसके साथ ही जायफल एक गुणकारी औषधि हैं। आयुर्वेद मे जायफल को वात एवं कफनाशक बताया गया हैं । जायफल के तेल को बहुत से सौंदर्य प्रसाधन और दवाइयों में प्रयोग किया जाता हैं । त्वचा ,बालो और शरीर की कई बीमारियों में जायफल बहुत ही उपयोगी है।
जायफल को वैसे तो हम सम्पूर्ण वर्ष प्रयोग में ला सकते है ,परंतु इसका प्रयोग हम सर्दियों में अधिक करते है।
मुँह के छाले :-
- मुँह में अगर छाले हो गए हो तो आधा चम्मच जायफल (पानी में घिसा हुआ)एक गिलास पानी में घोलकर गरारे करने से न सिर्फ छाले ठीक होते है बल्कि बैठा हुआ गला भी ठीक होता है।
पतले दस्त :-
- अगर पतले दस्त आ रहे हो या पेट दर्द की शिकायत हो तो जायफल का चूर्ण एक ग्राम आह कप पानी में सुबह शाम सेवन करें ,शिकायत दूर होगी ।
त्वचा रोग:-
- जायफल तथा जावित्री के पिसे हुए चूर्ण के लेप लगाने से झाईयां दूर होती है।
- जायफल कोपीसकर उसमे शहद मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे के डदाग धब्बे दूर होते है।
- जायफल के तेल से मालिश करने से त्वचा की शून्यता दूर होती हैं ।
विवाई :-
- जायफल को पानी में घिसकर लगाने पैरों में लगाने से विवाइयाँ दूर होती है ।
आधाशीशी दर्द (माइग्रेन ):-
- जायफल के छिलके को वनफरसा के तेल में पीसकर १-२ बूद नाक में डालने से आधाशीशी के दर्द में राहत मिलती है ।
सर दर्द :-
- जायफल को पानी में घिसकर लगाने से सर दर्द दूर होता हैं ।
कान के रोग:-
कर्ण मूल सूजन
- जायफल को पीस कर कान के पीछे लगाने से कर्णमूल सीजन में आराम मिलता है।
- जायफल को तेल में उबालकर/ छानकर १-२ बूँद कान में डालने से कान के रोगों में आराम मिलता है।
दाँतो में दर्द :-
- जायफल के तेल में भीगी हुई रूई के फाहे को दाँतो में रखकर दबाने से दाँतो के दर्द में आराम मिलता हैं ।
शिशु रोग:-
- समभाग जायफल तथा मायाफल के चूर्ण को मंद अग्नि पर भूनकर ,१२ भाग मिश्री मिलाकर ,१-२ ग्राम मात्रा में प्रतिदिन सुबह सेवन करने से रोग ओर होते है तथा बल-बृद्धि होती है ।
सावधानियॉ :-
- जायफल का प्रयोग गर्भावस्था में निषिद्ध है। यह त्वचा में छोभ उत्पन्न करता है इसको ५ ग्राम से अधिक प्रयोग में नहीं लाना चहिये।